सोमवार, 27 नवंबर 2023
मार्गशीर्ष / अगहन माह का महत्व (Margashirsha Month Significance)
श्रीमद्भागवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीष माह को सभी महीनों में सर्वोत्तम महीना कहा है।
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्। मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकर
अर्थात - मैं सामों में बृहत्साम, छन्दों में गायत्री, मासों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में वसन्त ऋतु मैं हूँ। श्रीमद्भागवद गीता के अध्याय १० के ३५वे श्लोक में से भगवान श्रीकृष्ण ने स्वंय को मार्गशीर्ष का महीना बताया है.
मार्गशीर्ष माह में पालने योग्य नियम (Margashirsha Month Rules)
इस महीने में तीर्थ स्नान करने से अनंत गुना पुण्य मिलता है। साथ ही इस महीने में शंख पूजन का भी विशेष महत्व है। घर में रखे साधारण शंख को ही श्रीकृष्ण का पाञ्चजन्य शंख समझकर उसकी पूजा करनी चाहिए।
निम्नलिखित मन्त्रों में से कोई एक मन्त्र चुनकर भगवान वासुदेव का चिंतन विशेष लाभदायक होता है।
ॐ कृं कृष्णाय नम:
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय
ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम:
कर्पूर से भगवान की आरती और श्री तुलसी जी की सेवा, मनोवांछित फल की प्राप्ति में सहायक होते हैं।
Disclaimer: यह जानकारी मान्यताओं पर आधारित है।
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