शनिवार, 4 अप्रैल 2009

आरम्भ से अंत तक--जो है बस यही है..



8 टिप्‍पणियां:

  1. सुस्वागतम जी. पहली ही पोस्ट आपकी अति सुन्दर लगी. अपने विचार व अपनी रचनाओं से भी रूबरू कराएँ. शुभकामनाओं सहित..
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    [अमित के सागर]

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  2. सादर अभिवादन
    आपकी रचना के लिये बधाई
    ब्लोग्स के नये साथियों मे आपका बहुत स्वागत है

    चलिये चार पंक्तियों से अपना परिचय करा रहा हू
    चले हैं इस तिमिर को हम , करारी मात देने को
    जहां बारिश नही होती , वहां बरसात देने को
    हमे पूरी तरह अपना , उठाकर हाथ बतलाओ
    यहां पर कौन राजी है , हमारा साथ देने को

    सादर
    डा उदय ’मणि’ कौशिक
    http://mainsamayhun.blogspot.com

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  3. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
    इस भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए परशंसा प्राप्त करे / amitjain

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  4. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है….shuruaat hee dil ko choo gai.

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  5. सत्य कहा, बिलकुल ठीक लिखा है............
    प्रभू कहते हैं.......मैं ही मैं हूँ, तू भी मेह और मैं भी मैं

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  6. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.......
    आपके ब्लॉग को देख कर और आपको पढ़ कर अच्छा लगा... आपके ब्लॉग पर नियमित आना रहेगा.

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