रविवार, 5 अप्रैल 2009

माई बेस्ट फ्रेंड गणेशा .. (भाग ३)

९.धूम्र-केतु : केतु यानि यश, प्रसिद्दि॥ यश और प्रसिद्दि अच्छे गुणों के कारण ही मिलती है॥ अच्छे गुणों वाले व्यक्ति से सभी प्रभावित होते हैं॥ और सभी ऐसे इंसान से ज़्यादा से ज़्यादा मेल-जोल बनाये रखना चाहते हैं॥ ज़ाहिर सी बात है कि उस इंसान की सहायता करने में भी सभी को खुशी भी मिलेगी और फायदा भी ॥ ऐसे व्यक्ति के जीवन में विघ्न्न बधायें सिर्फ़ उसके हौसलों को परखने और बुलंद करने के उद्देश्य से ही आती हैं॥
१०.गणाध्यक्षा : इसका मतलब है किसी समूह या समाज का मुखिया॥ जिसके अनुशासन और आदर्शों का सभी पालन भी करें और उन्हें स्वीकार भी करें॥ ऐसा इंसान सामाजिक शक्ति और रुतबे का भी अधिकारी होता है॥ ऐसे इंसान के पास मुसीबतें भी हाज़री लगाने से डरती हैं॥
११.भालचंद्र : चन्द्र यानि चाँद जोकि उज्वल कीर्ति और सम्मान का प्रतिक है॥ भाल चंद्र का अर्थ हुआ जिसके माथे पर चाँद हो या जिसका माथा यानि यश चाँद की तरह उजाला हो॥ ऐसा इंसान चंद्रधारी महादेव शिव की तरह परोपकार के लिए कुछ भी करने का साहस रखता है॥ और परोपकार करने वाले की सहायता तो ईश्वर भी ख़ुद अपना हाथ बढ़ा के करते हैं॥
१२.गजानन : इसका मतलब है हाथी जैसे विशाल मस्तक वाला यानि हाथी की तरह विशाल ललाट वाले की तुलना गजानन से की जाती है॥ अब जिसके पास हाथी जैसा विशाल मस्तक और चतुर दिमाग होगा वो तो बाधाओं को यूँ भी गेंद की तरह उछाल कर या रेत के घरोंदों की तरह उन् पर पाँव रख के अपनी मंजिल की तरफ़ बढ़ निकलेगा॥
इस तरह गणपति के इन् बारह नामों को अपने स्वाभाव में मिला कर हर इंसान ज़िन्दगी के उबड़-खाबड़ के रास्ते पर चलते हुए भी हंसते-मुस्कुराते अपना सफर पूरा कर सकता है॥ उसके पास समाज में प्रतिष्ठा, वैभव की कभी कमी हो ही नही सकती॥ और जहाँ गणेश जी के गुण होंगे वहां माँ लक्ष्मी का होना स्वाभाविक ही है॥
उम्मीद है कि भविष्य में हम "गणेशा" के साथ पक्की दोस्ती निभाएंगे और उनके हर नाम का sirf उच्चारण ही नही करेंगे बल्कि उसे अपने जीवन का आधार बना लेंगे॥
"आलबेस्ट"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें