रविवार, 5 अप्रैल 2009

माई बेस्ट फ्रेंड "गणेशा".. (भाग I)

सनातन धरम में हर काम की शुरुआत से पहले शिव-गौरी पुत्र गणेश जी का सुमिरन किया जाता है॥ उनके बारह नामों सुमुख, एक-दंत, कपिल, गज-कर्ण, लम्बोदर, विकट, विघ्न-नाशक, विनायक, धूम्र-केतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन का चिंतन, उच्चारण करने के बाद यह श्लोक पढ़ा जाता है॥
द्वादशैतानि नामानि, यः पठेत् श्रुणुयाद्पि।
विद्यारम्भे विवाहे च, प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव, विघ्नस्तस्य न जायते।
यानि जो इन् बारह नामों को पढ़ता और सुनाता हैउसकी पढ़ाई-लिखाई, विवाह, गृहप्रवेश, बाहर जाने में और संकट की घड़ी में उसे निर्विघन सफलता हासिल होती है॥
मुँह से ईश्वर का कोई कोई भी नाम हम सुमिरन करें मगर मन अगर उस वक्त डिस्को या डंडिया खेलने कहीं बाहर चला जाए तो क्या भगवान के किसी भी नाम की सार्थकता रह पायेगी?? मगर मन पर कैसे ताला लगाया जाए??
तो उसका सबसे सीधा उपाय है हमें गणपति के इन बारह नामों को प्रैक्टिकली यानि व्यावहारिक दृष्टि से जानने और समझने की ज़रूरत है॥ तो चलिए थोड़ी कोशिश करते हैं "गणेशा" को अपना बेस्ट फ्रेंड बनाने की॥
1. सुमुख : यानि सुंदर मुख वाला॥ और सुंदर चेहरे की सबसे बड़ी आवशयकता है चेहरे पे मुस्कराहट और रौनक हो॥ और ये रौनक तभी आ सकती है जब हमारे मन में किसी काम को करने का उत्साह और विश्वास होगा॥ यानि अगर हम गणेश जी के सुमुख नाम का सुमिरन करें तो हमारे मन में विश्वास, उत्साह और चेहरे पर मुस्कराहट और रौनक होनी चाहिए॥ अब जब ये सब हमारे पास है तो कोई मुश्किल भला हमसे मुकाबला कर पायेगी??
2. एक दंत : एक दंत होने का मतलब सचमुच एक दांत वाला होना नही क्योंकि गणेशजी का वो एक दांत सिर्फ़ दिखाने वाला था खानेवाला नही॥ कहते हैं न हाथी के दांत खाने के और, और दिखने के और॥ तो फ़िर गणेश जी के इस नाम का ध्यान करते वक्त क्या सोचना चाहिए॥ यहाँ एक दंत का मतलब है एक बात वाला॥ जो एक बात बार कहे फ़िर अपनी बात का मान रखे॥ अपने वचन का पक्का इंसान गणेश जी के एक दंत नाम को न सिर्फ़ सार्थक करता है बल्कि उसे जी के भी दिखता है॥ ऐसे इंसान पर सभी भरोसा भी करते हैं और मुश्किल समय में उसकी सहायता भी करते हैं॥ ज़ाहिर सी बात है की ऐसे इन्सान से मिलने में मुश्किलें भी कतारएँगी॥
३. कपिल : इस नाम का अर्थ है श्वेत, उजाला यानि जिसका मन साफ़ हो॥ अब जिसका मन साफ़ है उसका व्यवहार भी सही और निष्पक्ष होगा, साफ़ मन वालों को झूठ बोलने की ज़रूरत नही पड़ती॥ ऐसे इंसान के सामने तो आधी मुश्किलें पैदा ही नही होंगी॥ यानि विघ्नों का सामना उसे ऐसे इंसान को नही करना पड़ता
. गज-कर्ण : कहते हैं हाथी सुनने के मामले में बहुत सावधान रहते हैं॥ और यही सावधानी हमें अपने स्वाभाव में भी लानी है अगर हम गणेशा के इस नाम गज-कर्ण का स्मरण करते हैं तो हमें भी सुनने के मामले में सावधान रहना होगा॥ यानि सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास कर लेने से पहले हालात और उनकी सच्चाई की परख करनी चाहिए॥ ऐसा इंसान अपने आस-पास के वातावरण के प्रति सचेत रहता है यही वजह है कि उसे सही-ग़लत लोगों की ज़्यादा परख होती है॥ अब ऐसे इंसान की ज़िन्दगी में कौन सी परेशानी टिकने का साहस दिखा सकती है??

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